Saturday, March 14, 2009

किस विषय पर लिखूं?

किस विषय पर लिखूं?
अपने निश्चय के मुताबित आज मैं अवश्य कुछ न कुछ लिखूंगा। लेकिन क्या लिखूंगा? फिर वही ईश्वर की दी हुई शक्ति ने उत्तर दिया विचार करो और अपने विचारों को लिखो। विचार करूं और अपने विचारों को लिखूं? लेकिन प्रश्न वहीं का वहीं रहा कि किस विषय पर विचार करूं? फिर उत्तर आया कि इसी विषय पर लिखो कि "किस विषय पर लिखूं"। बस फिर क्या था मन का घोड़ा दौड़ने लगा। कभी विचार आया कि होली का पर्व है होली पर लिखा जाय, जैसे ही यह विचार आया वैसे ही तुरन्त एक दूसरा विचार आया कि होली तो बीत गयी किसी सम-सामयिक विषय पर लिखा जाय। मन कभी इस ओर तो कभी उस ओर भाग रहा था और ठीक इसी वक्त पुन: विचार की शक्ति ने आवाज लगाई -"क्या हुआ अपनी मर्जी के विषय पर लिखने को बोला तो उस पर भी मन एकाग्रचित्त नहीं कर पा रहे हो?" यह सुनते ही मेरे दिमाग की बत्ती जली और यह ज्ञान हुआ कि यही तो योग है। मन की शक्तियों को एकाग्रचित्त करना। अरे वाह, यदि मैं नियमित ब्लागरी करूं तो योगी बन जाउंगा। अब समझ में आया कि हमारे मनीषी गुफाओं में बैठकर शायद यही अभ्यास करते थे कि मन को एकाग्रचित्त कैसे किया जाय। बिना मन को एकाग्रचित्त किये सार्थकतापूर्वक एक लाइन भी लिखना सम्भव नहीं है। हमारे पास विषयों की भरमार है हम जिस विषय पर चाहें लिख सकते हैं किन्तु हमारे मन में विचार आता है कि जो ज्यादा से ज्यादा लुभावना विषय हो उसी पर हम लिखें। इस बारे में मेरे मन में स्वामी विवेकानन्द जी से जुड़ा एक प्रसंग याद आता है जब उनके एक गुरूभाई ने ध्यान में पास स्थित कारखाने के भोंपू के शोर के कारण आ रही व्याधा का जिक्र किया तो स्वामी जी ने कहा कि क्यों नहीं तुम उस भोंपू के शोर पर ही ध्यान केन्द्रित करते? फिर क्या था वह शोर ही असीम शान्ति की अनुभूति प्रदान करने लगा। सचमुच ब्लागरी हमारे लिए एक वरदान साबित हो सकता है यदि हम इसका समुचित उपयोग अपने ध्यान और विचारों को केन्द्रित करने में कर सकें।

3 comments:

MAYUR said...

himanshu ji ye to sab ke sath hi hota hai ,mere sath bhi ,phir to kahin na kahin se dimag laga kar kuch likhna padta hai kyonki blogger jo banna hai

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

आप कशमकश में रहिये.....हम कमेन्ट करके जा रहे हैं कि आप अच्छी कशमकश में जा रहे हो....आप अच्छा लिखने वाले हो....अरे हाँ आपने उम्दा लिखा है....!!टाटा बाय बाय....खुदाहाफिज़ !!

mark rai said...

likhate rahiye... achha likhate hai..aur share bhi karate rahiye ham noujwaano ka ek group hona chahiye...jaha ham kisi issu par baat kar sake...problems ko discuss kar sake... blogging ko ek nayi disha de sake...