Tuesday, October 5, 2010

कितना प्यार मुझे है तुमसे कैसे तुमको बतलाऊं


कितना प्यार मुझे है तुमसे कैसे तुमको बतलाऊं
हनूमान मैं नहीं प्रिये जो चीर कलेजा दिखलाऊं।

तुमको याद किया करता हूं मैं प्रतिपल आंहें भरता हूं
यकीं दिलाऊ कैसे तुमको प्यार बहुत मैं करता हूं।

होती जब भी बात तुम्हारी छुप-छुप कर मैं सुनता हूं
ना देखूं मैं जिस दिन तुमको पागल सा मैं लगता हूं।

प्रीत की रीत निभाऊं कैसे, मुझे नहीं है कुछ आता
बिन देखे अब चैन नहीं है, काश मैं तुमसे कह पाता।

आंखें तेरी हुई दिवानी, नहीं इन्हें हैं कुछ भाता
हर पल चाहें सूरत तेरी, दूजा कुछ भी नहीं सुहाता।

दिन में खोया-खोया रहता, नींद न आती रातों में
भरी चूड़ियां हरदम दिखतीं, मेंहदी वाले हाथों में।

हर आहट पे चौक मैं पड़ता मिलता मुझको आभास तेरा
दिल में उठती घोर निराशा जब न मिलता साथ तेरा।

खत मैंने हैं बहुत लिखे पर एक न तुमको भेज सका
डर लगता है पढ कर इनको, हो न जाओ कहीं खफा।

मैं देखूंगा बाट तुम्हारी, किया इरादा पक्का है
तुम भी मुझसे प्यार करोगी, प्यार मेरा गर सच्चा है।

चित्र  chennai.olx.in से साभार 

Thursday, September 30, 2010

मैं बापू से मिलकर आया

बापू और कस्तूरबा सेवाग्राम आश्रम में
विगत 16 सितम्बर 2010 को मुझे सेवाग्राम आश्रम वर्धा महाराष्ट्र जाने का सुयोग प्राप्त हुआ। मैं अपने को बड़ा भाग्यशाली समझता हूं कि मुझे बापू की कर्मस्थली सेवाग्राम में जाने का अवसर मिला। वहां पहुंच कर ऐसी आत्मीय शांति की अनुभूति हुई कि उसका वर्णन करने की सामर्थ्य मुझमें नहीं है उसके विषय में केवल इतना कहना ही पर्याप्त है कि 'ज्यो गूंगे मीठे फल को रस अन्तर्गत ही भावे' वही स्थिति मेरी है। वहा पर मैं तो केवल इसलिए गया कि सेवाग्राम आया हूं तो बापू का आश्रम भी घूम ही लेता हूं। लेकिन वहां जाकर पता चला कि यह तो एक परम पावन तीर्थ है जहां प्रत्येक भारतवासी या जो सत्य की तलाश करना चाहते हैं उन्हें कम से कम एक बार तो अवश्य ही आना चाहिए। वहां जाने से पहले मैं बापू को गांधी जी कहता था लेकिन वहां जाकर पता चला कि वे गांधीजी नही थे वरन बापू ही थे। मुझे लगता है कि वहां जाकर मुझे बापू का साक्षात्कार हो गया है हो सकता है ऐसा कुछ न हुआ हो या यह मेरे दिमाग  में हुए किसी 'केमिकल लोचा' का परिणाम हो। चाहे जो हो मैं वहां पहुंचकर अपने को धन्य समझता हूं। और मैंने पहली बार बापू को इतने करीब से देखा और जाना। मुझे दुख है कि हमारी शैक्षिक संस्थाएं बच्चों को ऐसे स्थानों पर क्यों भ्रमण नहीं करवाती जहां पर उन्हें सत्य का साक्षात्कार स्वतः ही हो सकता है।  मुझे इस बात का भी दुख है कि मैं अब तक इस महापुरुष से इतना अपरिचित कैसे रहा जिसका दुनिया लोहा मानती है। शायद इसका कारण घर की मुर्गी दाल बराबर होना हो। तमाम मलाल, दुख, हर्ष, पश्चाताप और न जाने किन-किन भावों के साथ बापू को समर्पित मेरी कुछ पंक्तियां आपके सम्मुख प्रस्तुत हैं :-


मैं बापू से मिलकर आया, सेवाग्राम के आश्रम में।
देख मुझे वे बहुत खुशी थे, लेकिन हलचल थी मन में।
पास बैठ जब मैंने देखा, दुखी बहुत थे अन्तर्मन में॥

मैंने पूछा बात क्या बापू, कुछ मुझको बतलाओ तो,
ऐसी भूल हुई क्या बापू राह मुझे दिखलाओ तो।
पहले बापू मुस्काए फिर बाले ऐ वत्स मेरे -
प्रयोग पड़ा है अभी अधूरा सत्य पहेली सुलझे ना।
देख रहा मैं बच्चे मेरे सत्य राह से भटके ना।
पहले राह सरल थी लेकिन अब है दुविधा आन पड़ी।
झूठ ने पहना 'सत्य मुखौटा', बनी मुसीबत राह खड़ी।
बच्चे मेरे भटक न जायें, सोच-सोच घबराता हूं।
यही व्यथा मेरे अन्तर्मन में, कोई राह न पाता हूं।

मैं बोला अब बापू मेरे संशय अपना दूर करो।
हृदय 'दिया' है मेरा बापू, इसे तुरत स्वीकार करो।
जोत जला दो इसमें ऐसी प्रतिपल ही मैं जलता जाऊं।
खुद जलकर के इस जग में मैं सत्य पथिक को राह दिखाऊं॥
सत्य पथिक को राह दिखाऊ॥

चित्र ruraluniv.ac.in से साभार

Monday, September 27, 2010

भगवन तू है बहुत महान

मां विरासनी देवी बिरसिंहपुर पाली उमरिया म०प्र०


भगवन तू है बहुत महान,
देता रहता सबको ज्ञान।
अज्ञानी हम समझ न पाते,
करते हैं झूठा अभिमान॥

मन के भीतर तेरा धाम,
देख रहा तू सबके काम।
बुरे काम करते जब भी हम,
मन तो हमको रोके हर-दम॥

फिर भी तुझको हम झुठलाते,
अन्तकाल बैठ पछताते॥

अनन्त नाम हैं तेरे स्वामी,
क्या जानें हम मूरख खल-कामी।
जिसने मन से तुम्हें पुकारा,
हुआ है उसका वारा न्यारा॥

आया हूं अब शरण तुम्हारी,
मुझ पर कृपा करो दुखहारी।
नित्य सत्य के मार्ग चलूं मैं
अभिमानों से बचा रहूं मैं॥

करूं राष्ट्र की सेवा इतनी,
'जगद्‌गुरु' का पद दिलवाऊं।

मार्ग कठिन है अन्धकारमय,
ज्ञान ज्योति दो मन के भीतर।
जगत के आऊं काम प्रभू मैं,
भीतर-बाहर हो प्रकाशमय॥

Friday, September 24, 2010

कहां गया वह प्यार तुम्हारा


कहां गया वह प्यार तुम्हारा
जिस पर मैंने सब कुछ वारा
छीन लिया है दिल का सहारा
फिरता हूं मैं मारा मारा
कहां गया वह प्यार तुम्हारा॥

कहां गयी वो प्यार की बातें
प्यार और टकरार की बातें
प्यार-प्यार में धर्म की बातें
धर्म और दर्शन की बातें
प्रेम, काम और मोक्ष की बातें
बातों में बातों की बातें
बातों में कटती थी रातें
कहते थे सब आते जाते
जाने क्या करते ये बातें ?

'हे मेरी तुम'
प्यार नहीं है सांप की केचुल
जो छोड़ा और भूल गये
क्यों तुम मुझको भूल गयी ?
क्या तुम सचमुच में भूल गयी ?

हां तुम मुझको भूल गयी
पर...
मैं न तूमको भूल सका।
मैं न तुमको भूल सका॥

चित्र japaninc.com से साभार

मुझको कविता नहीं है आती


मुझको कविता नहीं है आती
मैं तो केवल लिखता पाती।

जो कुछ मेरे मन में आता
जो कुछ मेरे मन को भाता
जो है मेरी थाती
मैं तो केवल लिखता पाती।

रस छन्द औ अलंकार का ज्ञान नहीं है
कितनी मात्रा कहां लगेगी
भान नहीं है
जो कुछ भी आ जाता मन में,
लिख देता हूं।
इसी से अपने पागल मन को
बहला लेता हूं।
यह कहने में मुझको देखो
शर्म तनिक न आती
मुझको कविता नहीं है आती
मैं तो केवल लिखता पाती॥

चित्र communities.canada.com से साभार

Thursday, September 23, 2010

कैसा है यह सतीत्व तेरा






एक पति है मन के भीतर, एक है तेरा घरवाला।


प्रीत की रीत निभाई किससे, भड़काई उर अन्तरज्वाला॥
आज बनी है वधू किसी की, बैठी है वो ओढ  दुशाला॥


पति तो केवल एक ही होता, मन से वरण किया है जिसका।
बाकी सब है दुनियादारी, कौन हुआ है यहां पे किसका॥


प्रीत की डोर बहुत नाजुक है, ऐसे इससे मत खेलो।
डोर के टूटे दिल टूटेगा, दो-दो दिल से ना खेलो॥


सच का सामना कठिन है फिर भी, झूठ बोलना नहीं सरल।
कुछ करने से पहले सोचो, आगे फिर क्या होगा कल॥


प्रेम नहीं है सांप की केचुल, छोड  दिया और भूल गये।
जीवन भर तड पोगे तुम भी, कभी न तुमको आये कल॥


तोड  दिया दिल मेरा तुमने, बाप की आन बचाने को।
पोत दी मेरे मुख पे कालिख, मैं क्या बतलाऊं जमाने को॥


जिसके गर्व बहुत करता था, आज वो मुझसे हुई जुदा।
प्रीत निभाई ठोकर खाई, कैसी किस्मत मिली खुदा॥


कसम खुदा की मैं कहता हूं, मुझको भूल न पाओगे।
बेशक संग सजन के होगे, मन में हमें ही पाओगे॥


जब आयेगी हिचकी तुमको, भ्रम मत करना साजन का।
जब तक नाम न मेरा लोगे, छुटकारा न पाओगे॥


दिल के टूटे शोर न होता, पर दर्द बहुत ही होता है।
दुनिया जब है जश्न मनाती, ये अन्दर-अन्दर रोता है॥


चित्र  


topnews.in 


से साभार

हाय रे किस्मत खोटी मेरी


हाय रे किस्मत खोटी मेरी, प्रियतम मेरा रूठ गया।
प्रेम का कच्चा धागा था जो, एक पल में ही टूट गया॥

प्रियतम मेरा गया वहां पे, जहां से कोई लौटे ना।
ऐसी सजा मिली है मुझको, अब तो पल-पल मुझको खटना॥

जनम-जनम तक साथ का वादा, कहां गया ऐ प्रीत मेरे।
मन की बातें मन में ठहरीं, किसे सुनाऊं गीत मेरे॥

तेरी भी गलती क्या यारा, रब ही जब हो गया खफा।
प्रेम तो होता अक्स खुदा का, फिर कैसे कर दिया जुदा॥

गलती तो कुछ हुई है मुझसे, जो मुझको मिल रही सजा।
कष्ट दिया था औरों को और जीवन का था लिया मजा॥

जुर्म कुबूल मुझे हैं सारे, काटी मैंने बड़ी सजा।
यही गुजारिश अब है मौला, मुझको अपने पास बुला॥

नहीं सहा जाता अब मुझसे, प्रियतम का यह दुख बड़ा।
मुझको अपने पास बुला ले, तेरा दिल है बहुत बड़ा।

चित्र dorsetwebdesigns.com से साभार

Sunday, September 5, 2010

तुम्हीं से प्यार करता था, तुम्हीं को प्यार करता हूं।


तन्हा हो के भी मैं कभी तन्हा नहीं होता,
लम्हा कौन सा ऐसा के मेरा दिल नहीं रोता॥

तुम्हारी याद आती है औ पलकें भीग जाती हैं,
रहूं महफिल या वीरां में उदासी छा ही जाती है॥

कहूं किससे मैं हाले दिल, यहां अपना नहीं कोई,
जिसे अपना समझता हूं वो मुझको छोड़ जाते हैं॥

ये जालिम इश्क है कैसा, सबब इसका यही होता,
जिसे हम प्यार करते हैं, वो हमको भूल जाता है॥

तमन्ना है यही दिल में के जब होऊं मैं कफन ओढ़े,
जनाजे में वो आ कर के, दामन को भिगो जाये॥

निशानी कुछ नही मेरी, कहानी कुछ नहीं मेरी,
सिले हैं होठ भी मैंने, निगाहें बन्द करता हूं॥

जनाजे पे चली आना, यही फरियाद करता हूं।
नहीं खवाहिश बची कुछ भी, तुम्हीं को याद करता हूं।
तुम्हीं से प्यार करता था, तुम्हीं को प्यार करता हूं।


चित्र  dreamformypeople.blogspot.com से साभार।

Saturday, August 14, 2010

मत आओ अब सपने मे


क्यों आते हो सपनों में, जब हमको तनहा छोड़ दिया।
प्रेम की कच्ची डोरी को, एक पल में झट से तोड  दिया॥

देख लिया है प्यार तुम्हारा, अब नहीं धोखा खाऊंगा।
जब आओगे सपने में, मैं फौरन ही जग जाऊगा॥

सपने झूठे होते हैं, बस झूठी तस्वीर दिखाते हैं।
नहीं हो सकता संभव जो, वो उसको कर दिखलाते हैं॥

वाह री किस्मत मेरी, मैंने अब तक धोखा खाया है।
इस दुनिया में जिसको चाहा, उससे ही दुख पाया है॥

यही सबब है प्यार का यारों, यार नहीं मिल पाताहै।
बस मिलती है उसकी यादें, जीवन भर तड पाती हैं॥

आते हैं सुख सपने इतने, जीवन की राह भुलाते हैं।
यही हुआ है जगत में हरदम, प्रेमी मिल नहीं पाते हैं॥

शिकवा नहीं गुजारिश तुमसे, मत आओ अब सपने में।
बेगाना कर छोड  दिया जब, मत गिनवाओ अपने में।

मत आओ अब सपने में, मत आओ अब सपने में॥