Wednesday, May 6, 2020

फेक न्यूज़ क्या है ।। What is Fake News

Fake News

फेक न्यूज़ एक अंग्रेजी शब्द है जिसका हिंदी अनुवाद झूठी खबरें या मिथ्या समाचार है। संकुचित अर्थों में फेक न्यूज़ के अंतर्गत वह खबर सम्मिलित की जाती है जो कि सत्य नहीं है, किंतु इसके व्यापक अर्थ के अंतर्गत अनेक चीजों को सम्मिलित किया जा सकता है, जैसे तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करना, एकांगी दृष्टि से रिपोर्टिंग करना, तथ्यों की गहराई में ना जाना, बिना पुष्टि के आनन फानन में समाचार को आगे बढ़ा देना ।

यदि हम फेक न्यूज़ की उत्पत्ति पर प्रकाश डालें तो हमें यह ज्ञात होगा कि फेक न्यूज़ का चलन कोई नया नहीं है, वरन् यह बहुत ही पुराना है। राजा महाराजा के जमाने से चल रहा फेक न्यूज़ का धंधा प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध तक आते-आते बहुत व्यापक रूप में सामने आया। फेक न्यूज़ या प्रोपेगेंडा का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध में तकनीकी विकास के साथ राज्य प्रायोजित हुआ और खूब फला फूला ।

जैसे-जैसे संचार क्रांति का युग आया एक न्यूज़ के फैलने की गति भी बहुत तेज होती गई । पुराने समय में कोई फेक न्यूज़ अपनी धीमी रफ्तार के कारण जहां एक सीमित क्षेत्र को ही प्रभावित कर पाती थी , वहीं यह आज पूरे देश एवं विश्व को प्रभावित करने की क्षमता रखती है।

एक सच्चे पत्रकार का नैतिक दायित्व है कि वह तटस्थ रहकर किसी खबर की हर दृष्टि से पड़ताल करें, समाचार की पुष्टि होने पर ही उसे आगे बढ़ाएं, जरा भी संदेह होने या विश्वस्त सूत्रों से पुष्टि न होने पर उसे आगे ना बढ़ाएं ।

वर्तमान समय सोशल मीडिया का युग है और इस समय ऐसे बहुत से माध्यम है जिसमें कोई भी व्यक्ति, जो कि प्रशिक्षित संवाददाता नहीं है, कहीं से भी कोई भी खबर सार्वजनिक कर सकता है। कभी-कभी यह फेक न्यूज़ किसी व्यक्ति, उत्पाद, समाज, धर्म , संप्रदाय, मान्यता आदि को निशाना बनाकर वायरल की जाती है, जिनके अत्यंत घातक परिणाम समाज को देखने को मिलते हैं । आज के समय में अनेक राजनीतिक पार्टियां अपना प्रचार एवं दूसरी पार्टी का दुष्प्रचार करने के लिए बाकायदा आईटी सेल का गठन कर प्रायोजित कार्यक्रम चला रही है।  इसी क्रम में एक देश दूसरे देश के विरुद्ध ऐसे कार्यक्रमों का संचालन कर रहे हैं जो कि पत्रकारिता के मानदंडों के बिल्कुल विपरीत है।

 आज के इंटरनेट के युग में किसी भी सूचना की सत्यता की पड़ताल करना अब उतना मुश्किल नहीं रह गया है, जितना कि पहले हुआ करता था। अतः सारांश रूप में यह कहा जा सकता है कि हम चाहे पत्रकार हों या आम नागरिक, हमारे पास आने वाली हर खबर को तभी आगे भेजें जब उसकी विश्वसनीयता की पड़ताल अपने स्तर से कर ले।खासतौर से उन खबरों के प्रति अत्यंत सचेत रहने की आवश्यकता है जो हमारे समाज एवं देश को तोड़ने का कार्य कर सकती हैं।

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