Tuesday, September 1, 2009

काश कविता मैं भी करता

काश कविता मैं भी करता
अक्षर के मोती चुन-चुनकर, 
सुर के धागे में फिर रचता 
काश कविता मैं भी करता  
कविता रचना है मनभावन 
कविता मन को करती पावन 
कविता में सब भूले तनमन 
कविता है वो जो छू ले मन सबका अन्तर्मन