बहुत समय पहले की बात है। एक चोर था वह चोरी की नियत से एक सेठ के घर में घुसा, लेकिन सेठ के घर में पाले गए कुत्तों को भनक लग गई और वह भोंकने लगे। चोर भाग कर सेठ की गौशाला में जा छिपा। गौशाला में कई गाय बन्धी थी। तभी एक चमत्कार हुआ। चोर ने महसूस किया कि वह गायों की बातों को सुन और समझ सकता है। उस गौशाला में एक बूढ़ी गाय थी जो एक नई नई आई गाय से बात कर रही थी। बूढ़ी गाय ने नई गाय से पूछा, "तुम तो नयी लगती हो, पहले तुमको यहां नहीं देखा"। नई गाय ने कहा, "मैं आज ही आई हूं, अब ना मालूम कितने दिन तक मुझे यहां बंद कर रहना पड़ेगा, पहले मैं जंगल में स्वतंत्रता पूर्वक विचरण करती थी"। बूढ़ी गाय ने कहा, "जो जिसका कर्जदार है, उसे तो कर्ज उतारना ही होगा"। नई गाय ने कहा, "मैं आपकी बात का मतलब नहीं समझी"। तब बूढ़ी गाय ने कहा कि मैं पिछले जन्म में एक चोर थी और मैंने इस सेठ के घर में इसके धन की चोरी की थी उस चोरी के कारण मुझे इस जन्म में गाय बनना पड़ा और जितना धन मैंने इस सेठ का चोरी किया था उस धन के बराबर मुझे दूध देकर भरपाई करनी है तभी मेरी मुक्ति हो पाएगी। गायों की बात सुनकर चोर सन्न रह गया। उसने निश्चय किया कि अब वह चोरी का काम नहीं करेगा बल्कि मेहनत मजदूरी करके जो कुछ भी प्राप्त होगा उसी से अपना जीवन यापन करेगा। इस प्रकार चोर ने चोरी का काम सदा के लिए छोड़ दिया और मेहनत तथा ईमानदारी के साथ सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा।
Thursday, July 15, 2021
Wednesday, July 14, 2021
भोलू गौरी और टॉमी || Bholu, Gauri aur Tomy
Tuesday, July 13, 2021
चरवाहा || Charwaha
एक
चरवाहा था। वह रोज गाय
चराने जाता था। उसके साथ उसका पालतू कुत्ता भी जरूर जाता
था। वह दिन भर
अपने कुत्ते के साथ खेलता
और शाम को गायों को
वापस लेकर के गांव आ
जाता था। रोज की तरह एक
दिन वह गाय चराने
गया और एक घने
पेड़ के नीचे बैठकर
सोचने लगा कि एक दिन
उसके पास भी ढेर सारी
गाय हो जाएंगी और
वह खूब सारा दूध देंगी। जिन्हें बेचकर वह बहुत अमीर
हो जाएगा। न जाने कब
तक वह अपने दिवास्वप्न
में डूबा रहा कि उसे यह
भी नहीं पता चला कि उसकी गाय
किधर चली गई। जब उसे होश
आया तो शाम होने
वाली थी और आसपास
गायों का अता पता
ही नहीं था। वह बहुत दुखी
हुआ और अपने कुत्ते
के पास बैठकर दुखी मन से बड़बड़ाने
लगा, "न जाने मेरी
गाय कहां गई, अब मैं बिना
गायों के घर कैसे
जाऊंगा, अगर घर गया तो
जरूर मेरी पिटाई होगी।" तभी उसने देखा कि उसका कुत्ता
एक तरफ भोंकते हुए भागा जा रहा है
वह भी अपने कुत्ते
के पीछे दौड़ने लगा। थोड़ी दूर जाकर के उसने देखा
कि उसकी गाय झाड़ियों के पीछे चर
रही थी। गायों को पाकर वह
बहुत खुशी हुआ और कुत्ते और
गाय को लेकर वापस
अपने घर आ गया।
Monday, July 12, 2021
दिवास्वप्न || Day Dreaming
एक
गांव में एक ग्वाला था।
उसके घर में कई
गाय थी जिनका दूध
वह अपने गांव के लोगों को
बेचने के लिए रोज
जाता था। एक दिन वह
दूध लेकर जा रहा था
और मन ही मन
सोच रहा था कि अभी
उसके पास जितनी गाय हैं कुछ दिन बाद उसकी दोगुनी गाय उसके पास होंगी और उसके कुछ
दिन बाद उससे भी दोगुनी गाय
उसके पास हो जाएंगी। तब
उसके पास बेचने के लिए बहुत
ढेर सारा दूध भी हो जाएगा।
इस प्रकार दूध बेच बेच कर वह बहुत
अमीर हो जाएगा। इसी
प्रकार दिवास्वप्न देखते हुए वह आगे बढ़ता
जा रहा था कि तभी
उसका पैर जमीन पर बैठे हुए
एक कुत्ते से टकरा गया।
कुत्ता पें- पें करते हुए भागा लेकिन तब तक उस
लड़के का सारा दूध
गिर चुका था। भविष्य में होने वाले लाभ के बारे में
सोचते सोचते वह अपने वर्तमान
के लाभ से भी हाथ
धो बैठा।
Friday, May 8, 2020
Winners Never Quit Quitters Never Win
अखंड भारत पब्लिक स्कूल। जी हां यह वही विद्यालय है जिसने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को आधार बनाया और इसके छात्र देश ही नहीं वरन विदेशों में भी अपनी सर्वोच्च सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इस विद्यालय ने अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरे कर लिए गए हैं जिस के उपलक्ष्य में स्वर्णिम जयंती समारोह का आयोजन किया जा रहा है। समारोह में देश-विदेश से हजारों की संख्या में पुरा छात्र एवं उनके परिवार एकत्रित हुए हैं जिसकी शोभा देखते ही बनती है। वैसे तो स्वर्णिम जयंती समारोह के उपलक्ष में अनेकानेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है किंतु आज का कार्यक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आज का कार्यक्रम पूर्णतया सैन्य सेवाओं को समर्पित है।
Thursday, May 7, 2020
नो कास्ट नो रिलीजन नो गॉड No Cast No Religion No God
Wednesday, May 6, 2020
फेक न्यूज़ क्या है ।। What is Fake News
फेक न्यूज़ एक अंग्रेजी शब्द है जिसका हिंदी अनुवाद झूठी खबरें या मिथ्या समाचार है। संकुचित अर्थों में फेक न्यूज़ के अंतर्गत वह खबर सम्मिलित की जाती है जो कि सत्य नहीं है, किंतु इसके व्यापक अर्थ के अंतर्गत अनेक चीजों को सम्मिलित किया जा सकता है, जैसे तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करना, एकांगी दृष्टि से रिपोर्टिंग करना, तथ्यों की गहराई में ना जाना, बिना पुष्टि के आनन फानन में समाचार को आगे बढ़ा देना ।
यदि हम फेक न्यूज़ की उत्पत्ति पर प्रकाश डालें तो हमें यह ज्ञात होगा कि फेक न्यूज़ का चलन कोई नया नहीं है, वरन् यह बहुत ही पुराना है। राजा महाराजा के जमाने से चल रहा फेक न्यूज़ का धंधा प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध तक आते-आते बहुत व्यापक रूप में सामने आया। फेक न्यूज़ या प्रोपेगेंडा का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध में तकनीकी विकास के साथ राज्य प्रायोजित हुआ और खूब फला फूला ।
जैसे-जैसे संचार क्रांति का युग आया एक न्यूज़ के फैलने की गति भी बहुत तेज होती गई । पुराने समय में कोई फेक न्यूज़ अपनी धीमी रफ्तार के कारण जहां एक सीमित क्षेत्र को ही प्रभावित कर पाती थी , वहीं यह आज पूरे देश एवं विश्व को प्रभावित करने की क्षमता रखती है।
एक सच्चे पत्रकार का नैतिक दायित्व है कि वह तटस्थ रहकर किसी खबर की हर दृष्टि से पड़ताल करें, समाचार की पुष्टि होने पर ही उसे आगे बढ़ाएं, जरा भी संदेह होने या विश्वस्त सूत्रों से पुष्टि न होने पर उसे आगे ना बढ़ाएं ।
वर्तमान समय सोशल मीडिया का युग है और इस समय ऐसे बहुत से माध्यम है जिसमें कोई भी व्यक्ति, जो कि प्रशिक्षित संवाददाता नहीं है, कहीं से भी कोई भी खबर सार्वजनिक कर सकता है। कभी-कभी यह फेक न्यूज़ किसी व्यक्ति, उत्पाद, समाज, धर्म , संप्रदाय, मान्यता आदि को निशाना बनाकर वायरल की जाती है, जिनके अत्यंत घातक परिणाम समाज को देखने को मिलते हैं । आज के समय में अनेक राजनीतिक पार्टियां अपना प्रचार एवं दूसरी पार्टी का दुष्प्रचार करने के लिए बाकायदा आईटी सेल का गठन कर प्रायोजित कार्यक्रम चला रही है। इसी क्रम में एक देश दूसरे देश के विरुद्ध ऐसे कार्यक्रमों का संचालन कर रहे हैं जो कि पत्रकारिता के मानदंडों के बिल्कुल विपरीत है।
आज के इंटरनेट के युग में किसी भी सूचना की सत्यता की पड़ताल करना अब उतना मुश्किल नहीं रह गया है, जितना कि पहले हुआ करता था। अतः सारांश रूप में यह कहा जा सकता है कि हम चाहे पत्रकार हों या आम नागरिक, हमारे पास आने वाली हर खबर को तभी आगे भेजें जब उसकी विश्वसनीयता की पड़ताल अपने स्तर से कर ले।खासतौर से उन खबरों के प्रति अत्यंत सचेत रहने की आवश्यकता है जो हमारे समाज एवं देश को तोड़ने का कार्य कर सकती हैं।
Tuesday, May 29, 2018
वैद्य जी की सेवा || Vaidya Ji Ki Sewa
आप को पिछली मुलाकात का हाल सुनाता हूँ, फिर आपको सारी बात याद आ जाएगी। जब मैं पहली बार यहाँ आया था तो मैं खुद नहीं आया था अपितु ईश्वर मुझे आप के पास ले आया था क्योंकि ईश्वर ने मुझ पर कृपा की थी और वह मेरा घर आबाद करना चाहता था। हुआ इस तरह था कि मैं कार से अपने पैतृक घर जा रहा था।
बिल्कुल आपके दवाखाने के सामने हमारी कार पंक्चर हो गई। ड्राईवर कार का पहिया उतार कर पंक्चर लगवाने चला गया। आपने देखा कि गर्मी में मैं कार के पास खड़ा था तो आप मेरे पास आए और दवाखाने की ओर इशारा किया और कहा कि इधर आकर कुर्सी पर बैठ जाएँ। अँधा क्या चाहे दो आँखें और कुर्सी पर आकर बैठ गया। ड्राइवर ने कुछ ज्यादा ही देर लगा दी थी। एक छोटी-सी बच्ची भी यहाँ आपकी मेज़ के पास खड़ी थी और बार-बार कह रही थी, '' चलो न बाबा, मुझे भूख लगी है। आप उससे कह रहे थे कि बेटी थोड़ा धीरज धरो, चलते हैं।मैं यह सोच कर कि इतनी देर से आप के पास बैठा था और मेरे ही कारण आप खाना खाने भी नहीं जा रहे थे। मुझे कोई दवाई खरीद लेनी चाहिए ताकि आप मेरे बैठने का भार महसूस न करें। मैंने कहा वैद्यजी मैं पिछले 5-6 साल से इंग्लैंड में रहकर कारोबार कर रहा हूँ। इंग्लैंड जाने से पहले मेरी शादी हो गई थी लेकिन अब तक बच्चे के सुख से वंचित हूँ। यहाँ भी इलाज कराया और वहाँ इंग्लैंड में भी लेकिन किस्मत ने निराशा के सिवा और कुछ नहीं दिया।" आपने कहा था, "मेरे भाई! भगवान से निराश न होओ। याद रखो कि उसके कोष में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है। आस-औलाद, धन-इज्जत, सुख-दुःख, जीवन-मृत्यु सब कुछ उसी के हाथ में है। यह किसी वैद्य या डॉक्टर के हाथ में नहीं होता और न ही किसी दवा में होता है। जो कुछ होना होता है वह सब भगवान के आदेश से होता है। औलाद देनी है तो उसी ने देनी है। मुझे याद है आप बातें करते जा रहे थे और साथ-साथ पुड़िया भी बनाते जा रहे थे। सभी दवा आपने दो भागों में विभाजित कर दो अलग-अलग लिफ़ाफ़ों में डाली थीं और फिर मुझसे पूछकर आप ने एक लिफ़ाफ़े पर मेरा और दूसरे पर मेरी पत्नी का नाम लिखकर दवा उपयोग करने का तरीका बताया था। मैंने तब बेदिली से वह दवाई ले ली थी क्योंकि मैं सिर्फ कुछ पैसे आप को देना चाहता था। लेकिन जब दवा लेने के बाद मैंने पैसे पूछे तो आपने कहा था, बस ठीक है। मैंने जोर डाला, तो आपने कहा कि आज का खाता बंद हो गया है। मैंने कहा मुझे आपकी बात समझ नहीं आई। इसी दौरान वहां एक और आदमी आया उसने हमारी चर्चा सुनकर मुझे बताया कि खाता बंद होने का मतलब यह है कि आज के घरेलू खर्च के लिए जितनी राशि वैद्यजी ने भगवान से माँगी थी वह ईश्वर ने उन्हें दे दी है। अधिक पैसे वे नहीं ले सकते। मैं कुछ हैरान हुआ और कुछ दिल में लज्जित भी कि मेरे विचार कितने निम्न थे और यह सरलचित्त वैद्य कितना महान है।
वैद्यजी ने आगे कहा, "जब से होश सँभाला है, एक ही पाठ पढ़ा है कि सुबह परमात्मा का आभार करो, शाम को अच्छा दिन गुज़रने का आभार करो, खाते समय उसका आभार करो, सोते समय उसका आभार करो।