Saturday, August 14, 2010
मत आओ अब सपने मे
क्यों आते हो सपनों में, जब हमको तनहा छोड़ दिया।
प्रेम की कच्ची डोरी को, एक पल में झट से तोड दिया॥
देख लिया है प्यार तुम्हारा, अब नहीं धोखा खाऊंगा।
जब आओगे सपने में, मैं फौरन ही जग जाऊगा॥
सपने झूठे होते हैं, बस झूठी तस्वीर दिखाते हैं।
नहीं हो सकता संभव जो, वो उसको कर दिखलाते हैं॥
वाह री किस्मत मेरी, मैंने अब तक धोखा खाया है।
इस दुनिया में जिसको चाहा, उससे ही दुख पाया है॥
यही सबब है प्यार का यारों, यार नहीं मिल पाताहै।
बस मिलती है उसकी यादें, जीवन भर तड पाती हैं॥
आते हैं सुख सपने इतने, जीवन की राह भुलाते हैं।
यही हुआ है जगत में हरदम, प्रेमी मिल नहीं पाते हैं॥
शिकवा नहीं गुजारिश तुमसे, मत आओ अब सपने में।
बेगाना कर छोड दिया जब, मत गिनवाओ अपने में।
मत आओ अब सपने में, मत आओ अब सपने में॥
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4 comments:
शिकवा नहीं गुजारिश तुमसे, मत आओ अब सपने में।
बेगाना कर छोड दिया जब, मत गिनवाओ अपने में।
शेर अच्छा लगा
bahut sundar bhai himanshuji
आपकी टिप्पणी ने निश्चय ही मेरे उत्साह में कई गुने की वृद्धि की है। आप सभी को कोटिशः धन्यवाद
मत आओ अब सपने में
हिमॉंशु जी इतने निर्मम मत बनो कुछ तो हक बाकी रहने दो
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