एक
चरवाहा था। वह रोज गाय
चराने जाता था। उसके साथ उसका पालतू कुत्ता भी जरूर जाता
था। वह दिन भर
अपने कुत्ते के साथ खेलता
और शाम को गायों को
वापस लेकर के गांव आ
जाता था। रोज की तरह एक
दिन वह गाय चराने
गया और एक घने
पेड़ के नीचे बैठकर
सोचने लगा कि एक दिन
उसके पास भी ढेर सारी
गाय हो जाएंगी और
वह खूब सारा दूध देंगी। जिन्हें बेचकर वह बहुत अमीर
हो जाएगा। न जाने कब
तक वह अपने दिवास्वप्न
में डूबा रहा कि उसे यह
भी नहीं पता चला कि उसकी गाय
किधर चली गई। जब उसे होश
आया तो शाम होने
वाली थी और आसपास
गायों का अता पता
ही नहीं था। वह बहुत दुखी
हुआ और अपने कुत्ते
के पास बैठकर दुखी मन से बड़बड़ाने
लगा, "न जाने मेरी
गाय कहां गई, अब मैं बिना
गायों के घर कैसे
जाऊंगा, अगर घर गया तो
जरूर मेरी पिटाई होगी।" तभी उसने देखा कि उसका कुत्ता
एक तरफ भोंकते हुए भागा जा रहा है
वह भी अपने कुत्ते
के पीछे दौड़ने लगा। थोड़ी दूर जाकर के उसने देखा
कि उसकी गाय झाड़ियों के पीछे चर
रही थी। गायों को पाकर वह
बहुत खुशी हुआ और कुत्ते और
गाय को लेकर वापस
अपने घर आ गया।
0 comments:
Post a Comment