Thursday, September 23, 2010

हाय रे किस्मत खोटी मेरी


हाय रे किस्मत खोटी मेरी, प्रियतम मेरा रूठ गया।
प्रेम का कच्चा धागा था जो, एक पल में ही टूट गया॥

प्रियतम मेरा गया वहां पे, जहां से कोई लौटे ना।
ऐसी सजा मिली है मुझको, अब तो पल-पल मुझको खटना॥

जनम-जनम तक साथ का वादा, कहां गया ऐ प्रीत मेरे।
मन की बातें मन में ठहरीं, किसे सुनाऊं गीत मेरे॥

तेरी भी गलती क्या यारा, रब ही जब हो गया खफा।
प्रेम तो होता अक्स खुदा का, फिर कैसे कर दिया जुदा॥

गलती तो कुछ हुई है मुझसे, जो मुझको मिल रही सजा।
कष्ट दिया था औरों को और जीवन का था लिया मजा॥

जुर्म कुबूल मुझे हैं सारे, काटी मैंने बड़ी सजा।
यही गुजारिश अब है मौला, मुझको अपने पास बुला॥

नहीं सहा जाता अब मुझसे, प्रियतम का यह दुख बड़ा।
मुझको अपने पास बुला ले, तेरा दिल है बहुत बड़ा।

चित्र dorsetwebdesigns.com से साभार

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