मां विरासनी देवी बिरसिंहपुर पाली उमरिया म०प्र० |
भगवन तू है बहुत महान,
देता रहता सबको ज्ञान।
अज्ञानी हम समझ न पाते,
करते हैं झूठा अभिमान॥
मन के भीतर तेरा धाम,
देख रहा तू सबके काम।
बुरे काम करते जब भी हम,
मन तो हमको रोके हर-दम॥
फिर भी तुझको हम झुठलाते,
अन्तकाल बैठ पछताते॥
अनन्त नाम हैं तेरे स्वामी,
क्या जानें हम मूरख खल-कामी।
जिसने मन से तुम्हें पुकारा,
हुआ है उसका वारा न्यारा॥
आया हूं अब शरण तुम्हारी,
मुझ पर कृपा करो दुखहारी।
नित्य सत्य के मार्ग चलूं मैं
अभिमानों से बचा रहूं मैं॥
करूं राष्ट्र की सेवा इतनी,
'जगद्गुरु' का पद दिलवाऊं।
मार्ग कठिन है अन्धकारमय,
ज्ञान ज्योति दो मन के भीतर।
जगत के आऊं काम प्रभू मैं,
भीतर-बाहर हो प्रकाशमय॥
4 comments:
हिमांशु जी भजन में बहुत ऊंची भावना आपने दर्शाई है
मार्ग कठिन है अन्धकारमय,
ज्ञान ज्योति दो मन के भीतर
sundar bhav badhai
सुंदर भजन।
माँ विरासनी देवी के दर्शन कराने के लिए आभार।
आपकी टिप्पणियों ने मेरे उत्साह में हजारों गुने की वृद्धि की है। आपकी इस अहैतुकी कृपा के लिए कोटिशः धन्यवाद
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