Friday, September 24, 2010

कहां गया वह प्यार तुम्हारा


कहां गया वह प्यार तुम्हारा
जिस पर मैंने सब कुछ वारा
छीन लिया है दिल का सहारा
फिरता हूं मैं मारा मारा
कहां गया वह प्यार तुम्हारा॥

कहां गयी वो प्यार की बातें
प्यार और टकरार की बातें
प्यार-प्यार में धर्म की बातें
धर्म और दर्शन की बातें
प्रेम, काम और मोक्ष की बातें
बातों में बातों की बातें
बातों में कटती थी रातें
कहते थे सब आते जाते
जाने क्या करते ये बातें ?

'हे मेरी तुम'
प्यार नहीं है सांप की केचुल
जो छोड़ा और भूल गये
क्यों तुम मुझको भूल गयी ?
क्या तुम सचमुच में भूल गयी ?

हां तुम मुझको भूल गयी
पर...
मैं न तूमको भूल सका।
मैं न तुमको भूल सका॥

चित्र japaninc.com से साभार

3 comments:

वीना श्रीवास्तव said...

अच्छा प्रयास...अच्छी भावाभिव्यक्ति
http://veenakesur.blogspot.com/

SATYA said...

bahut sundar prastuti.

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देवेन्द्र पाण्डेय said...

प्यार नहीं है सांप की केचुल
..सुंदर उपमा।